Monday 18 July 2011

Kaash! Main KHUDA hota, main koi insaan nahi hota....

14/07/2011
काश! मैं खुदा होता, मैं कोई इऩसान नहीं होता।
ऊसकी आँखें, ऊसकी सूरत, ऊसकी बातें याद आतीं हैं,

हर पल मुझे ऊसकी मुलाकातें याद आतीं हैं।

जाने कौन सा पल था, जब वो मुझसे जुदा हो गया,

दिल में छिपाकर रखा था, कैसे गुमशुदा हो गया।

जाने क्या वजह थी जो गम मेरा मुकद्दर बन गया,

कुछ कतरों को रोका था, जो अब समन्दर बन गया।

दर्द बेईन्तहां है और नशा बेशुमार है,

दिल, आँखें, जुबाँ, जज्बात सब बेकरार है।

बहुत रोता है मन और एक ही ख्याल आता है,

जब भी अकेले होता हूँ बस यही सवाल आता है।

क्यूँ चाहते ऊसी को जिसका मिलना आसान नहीं होता,

काश! मैं खुदा होता, मैं कोई इऩसान नहीं होता।

मेरी क्या गलती अगर मैं प्यार कर रहा हूँ,

कई जन्मों से तेरा इन्तजार कर रहा हूँ।

आज मैं वक्त से बिल्कुल ही हार गया,

ये सबसे नाजुक लम्हा था पर मुझको मार गया।

मैं पागलों की तरह उन गलियों में जाता रहता हूँ,

तेरे सपने दिखा कर खुद को बहलाता रहता हूँ।

लोग हंसते हैं और मुझे मजनू का नाम देते हैं,

दीवाना, आशिक और बहुत से इल्जाम देते हैं।

मैं भी इश्क की गलियों में यूँ बदनाम नहीं होता,

काश! मैं खुदा होता, मैं कोई इऩसान नहीं होता।

उसे हासिल करना कितना आसान हो जाता,

पास बुला लेता अगर परेशान हो जाता।

मेरी हसरतें इस तरह अधूरी नहीं होतीं,

साँसें या धङकन जरूरी नहीं होतीं।

चमकता सितारा मेरा नसीब होता,

मैं जब चाहता उसके करीब होता।

न बेचैनी, न प्यास, न बेकरार होता,

न जुदाई न ही कभी इन्तजार होता।

कुछ और होता पर मुकद्दर मेरा शमशान नहीं होता,

काश! मैं खुदा होता, मैं कोई इऩसान नहीं होता।

काश! मैं खुदा होता, मैं कोई इऩसान नहीं होता।



Tum Mere saath rahogi kya?

11/07/2011
तुम मेरे साथ रहोगी क्या
जब आसमान ही छत होगा,
     मैं दुख में घिरा रहूँगा जब,
महलों के ख्वाब मैं देखूँगा,
     हौले से तुमसे कहूँगा तब,
जिन सपनों में तुम रहती हो,
     मुझे उनको सच में बदलना है,
चाहे संसार ये मेरा हो,
     पर तेरे लिए मचलना है।
मैं ही बस कहता रहूँगा सब,
     तुम कुछ भी नहीं कहोगी क्या,
ये आँखें तुमसे पूछ रहीं,
     तुम मेरे साथ रहोगी क्या....
मैं सामान्य मनुज इस दुनिया का,
     कागज के टुकङे कमाता हूँ
फिर हाथों से उन्हें छू-छूकर,
     खुश होता हूँ इठलाता हूँ
मैं आऊँगा जब भी घर पर,
     बस प्यार भरी बातें होंगी
दिन होंगे मेरे 2 घंटे के,
     बाकी पल बस रातें होंगी
मैं साथ तेरा दूंगा हर पल,
     चाहे सुख दुख के झमेले हों
मैं खुद से तुम्हें छुपाऊँगा,
     गर हम दोनो ही अकेले हों
इक दूजे से कुछ न कहना पङे,
     हममें इतना विश्वास होगा
मैं सोंच तुम्हें मुस्काऊँगा,
     और इसका तुमको एहसास होगा।
मेरे जीवन जीने का ये ढंग,
     तुम थोङा सह सकोगी क्या
ये आँखें तुमसे पूछ रहीं,
     तुम मेरे साथ रहोगी क्या...  



On 11 july 2011