Monday 18 July 2011

Tum Mere saath rahogi kya?

11/07/2011
तुम मेरे साथ रहोगी क्या
जब आसमान ही छत होगा,
     मैं दुख में घिरा रहूँगा जब,
महलों के ख्वाब मैं देखूँगा,
     हौले से तुमसे कहूँगा तब,
जिन सपनों में तुम रहती हो,
     मुझे उनको सच में बदलना है,
चाहे संसार ये मेरा हो,
     पर तेरे लिए मचलना है।
मैं ही बस कहता रहूँगा सब,
     तुम कुछ भी नहीं कहोगी क्या,
ये आँखें तुमसे पूछ रहीं,
     तुम मेरे साथ रहोगी क्या....
मैं सामान्य मनुज इस दुनिया का,
     कागज के टुकङे कमाता हूँ
फिर हाथों से उन्हें छू-छूकर,
     खुश होता हूँ इठलाता हूँ
मैं आऊँगा जब भी घर पर,
     बस प्यार भरी बातें होंगी
दिन होंगे मेरे 2 घंटे के,
     बाकी पल बस रातें होंगी
मैं साथ तेरा दूंगा हर पल,
     चाहे सुख दुख के झमेले हों
मैं खुद से तुम्हें छुपाऊँगा,
     गर हम दोनो ही अकेले हों
इक दूजे से कुछ न कहना पङे,
     हममें इतना विश्वास होगा
मैं सोंच तुम्हें मुस्काऊँगा,
     और इसका तुमको एहसास होगा।
मेरे जीवन जीने का ये ढंग,
     तुम थोङा सह सकोगी क्या
ये आँखें तुमसे पूछ रहीं,
     तुम मेरे साथ रहोगी क्या...  



On 11 july 2011

4 comments:

  1. wow...nishesh...jabrjst...kash mai khuda hota padh k aanke nam ho gyi yaar

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  2. wow so nice poem yar.........mai toh real mea aaj fan ho gyi aapki nishesh..........really awesome poem hai.......

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  3. kaise itna acha sochte ho aap nishesh jo bhi aapke sath aapki life patner hogi bhut lucky hogi wo jiske nhi aane se phle hi uski itni achi kalpana kiye hai aap........wo jarur sath rhegi ..........

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