मैं क्या कहूँ
मैने सपनों को टूटते देखा है
पहली बार में ही जिससे प्यार हो गया,
थोङा ही सही पर ऐतबार हो गया।
वो चली गई मैं उसे प्यार करता रहा,
उसे पाने की कोशिशें हर बार करता रहा।
बहुतों से पूछा कोई बता न सका,
मैं अपने दिल से उसको हटा न सका।
कहीं न कहीं वो मेरे मन में रही,
मेरे जोश, मेरी ताकत, मेरी लगन में रही।
ये चाहत की आग है जो कम नहीं होती,
जलाती भी नहीं और खतम नहीं होती।
जिन हाथों को इन हाथों में लेना मेरा सपना था,
वो महज एक ख्वाब था जिसमें वो अपना था।
वो कहता है तुमने बताने में देर कर दी,
प्यार इतना था पर जताने में देर कर दी।
इन हाथों से वो हाथ मैने छूटते देखा है,
मैं क्या कहूँ
मैने सपनों को टूटते देखा है
सालों बाद उसने ये इकरार किया,
हाँ, मैने भी तुमसे प्यार किया।
वो कुछ यूँ मेरे करीब आ गई,
आँखों में थी अब साँसों में छा गई।
वो मुझे अपना इन्तजार नहीं करने देती,
इतनी कातिल है, किसी और से प्यार नहीं करने देती।
अब ये दर्द हदों को पार कर रहा है,
वो मेरा है पर मुझसे इनकार कर रहा है।
वो कहता है मेरी बहुत सी मजबूरी है,
मिट न सकेगी जो बीच की ये दूरी है।
उसे याद करना कभी मुझसे छूटता नहीं,
मैं चाहता हूँ तो भी ये रिश्ता टूटता नहीं।
पता नहीं मुझे उस पर क्यूँ अब भी ऐतबार है,
उम्मीद नहीं आने की फिर भी इन्तजार है।
काश, अब वो मुझसे जुदा हो जाता,
य़ा फिर मेरा होकर मेरा खुदा हो जाता।
या तो दूर कर मुझसे या मेरी चाह को दिला दे,
मंजिल ना सही पर राह तो दिला दे।
अब ये दर्द मुझसे सहा नहीं जाता,
ये खत्म हो जाए, ऐसा भी कहा नहीं जाता।
नाराज होंगे तुमसे कई साथी, मैने खुदा को खुद से रूठते देखा है,
मैं क्या कहूँ
मैने सपनों को टूटते देखा है
मैं क्या कहूँ मैने सपनों को टूटते देखा है
मैं क्या कहूँ
मैने सपनों को टूटते देखा है