13/01/2012
हम क्यूँ बेवज़ह हीं ये दर्द सह रहे हैं ?
वो चला गया शायद हमसे रूठ कर,
जिसे चाहा था पूरी तरह टूट कर ।
वो मेरा कभी था ही नहीं जिसे अपना मानते थे,
कितने नासमझ थे इतना भी नहीं जानते थे।
आज वो चला गया और मैं रो रहा हूँ,
उसकी तस्वीर आंसुओं से धो रहा हूँ ।
पर क्या करूँ उसका चेहरा जाता ही नहीं है,
इन नज़रों में कुछ और आता हीं नहीं है।
ये तड़प है, बेचैनी है, कैसी खुमारी है।
मेरा दिल तो मेरे पास है, फिर क्यूँ बेकरारी है।
देखो ना ! वो चला गया फिर इंतज़ार क्यूँ कर रहा हूँ?
ये दिल तो टूट गया है, फिर प्यार क्यूँ कर रहा हूँ ?
सबके दिलों में होता है जो हम आज कह रहे हैं,
हम क्यूँ बेवजह हीं ये दर्द सह रहे हैं ?
वो झोंका था, तूफ़ान था या खुशनुमा एहसास था,
सबसे करीब था, वही सबसे खास था ।
मैं खुश कैसे रहूँ जब वो मुझसे दूर हो गया है
मैं तो बिलकुल ठीक हूँ , दिल मज़बूर हो गया है ।
पुकारता हूँ मैं रातों में दिन भर सोंचता रहता हूँ
मुझमें कहीं गुम है वो बस उसे खोजता रहता हूँ |
सब कहते हैं परेशान हो तुम आराम तो लो
मुझे सकूँ मिल जाएगा तुम उसका नाम तो लो|
अब तो ये जिंदगी भी बेजान सी हो गयी है
साँसें बोझ धड़कन गुमनाम सी हो गयी है|
आँखें बंद हैं मेरी अब मैं खो रहा हूँ
कई रातों से जगा हूँ चैन से सो रहा हूँ|
किधर से आए और जाने कहाँ बह रहे हैं
हम क्यूँ बेवजह ही ये दर्द सह रहे हैं|
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