मैने उसे देखा देखता ही रहा
की वो मुझसे दूर चली जा रही थी |
कभी नही भूला मैं उस शाम को,
कभी नही भूला मैं उस शाम को,
बेइंतहाँ प्यार में मिले अनोखे इनाम को |
हाथों में गुलाब लिए उनका इंतज़ार कर रहा था,
बहुत दिनों बाद मिलना था खुद को तैयार कर रहा था |
वो जो दूर से आती दिखी मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गयी,
हाथों में कंपकंपी, होंठों पे थरथराहट, जान में जान आ गयी |
आज क्या बात थी उन्होने मिलने बुलाया था,
उल्टी-सीधी बातें सोच दिल बड़ा घबराया था |
करीब आकर, कातिलाना मुस्कुराकर, उन्होने कहा,
उन्हे सुनना कितना अच्छा लग रहा था, मैं चुपचाप रहा |
मुझे पता है हम कभी नही मिलेंगे, इसलिए मैं ये रिश्ता तोड़ रही हूँ,
तुम मुझे कभी छोड़ नही सकते तो मैं तुम्हे छोड़ रही हूँ |
वापस लौटा रही हूँ तुम्हारे बेशुमार प्यार को,
तुम्हारे कीमती दिल को, उससे जुड़े हर तार को |
तुम्हे मेरी कसम है आज कुछ नहीं कहना,
मैं सुन नहीं पाऊँगी इसलिए चुप ही रहना |
ये आख़िरी मुलाकात है, मैं अब जा रही हूँ,
मेरा इंतज़ार मत करना बस इतना ही कह पा रही हूँ |
मैने कुछ नही कहा, बस उसे सुनता रहा,
बिखरे दिल के टुकड़ों को चुपचाप चुनता रहा |
साथ ले जा रही हूँ तुम्हारे लाए इस गुलाब को,
आज बराबर कर दिया तुम्हारे प्यार के हिसाब को |
आँखें जो नम हुई उसकी मुझे दर्द होने लगा,
वो जाने लगी मैं बीती यादों में खोने लगा |
मुड़कर न देखा मुझे वो सूरज की तरह ढली जा रही थी,
मैने उसे देखा देखता ही रहा की वो मुझसे दूर चली जा रही थी ||
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