Wednesday 31 July 2013

मैने उसे देखा देखता ही रहा
की वो मुझसे दूर चली जा रही थी |

कभी नही भूला मैं उस शाम को,
 
बेइंतहाँ प्यार में मिले अनोखे इनाम को |

हाथों में गुलाब लिए उनका इंतज़ार कर रहा था,

बहुत दिनों बाद मिलना था खुद को तैयार कर रहा था |

वो जो दूर से आती दिखी मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गयी,

हाथों में कंपकंपी, होंठों पे थरथराहट, जान में जान आ गयी |

आज क्या बात थी उन्होने मिलने बुलाया था,

उल्टी-सीधी बातें सोच दिल बड़ा घबराया था |

करीब आकर, कातिलाना मुस्कुराकर, उन्होने कहा,

उन्हे सुनना कितना अच्छा लग रहा था, मैं चुपचाप रहा |

मुझे पता है हम कभी नही मिलेंगे, इसलिए मैं ये रिश्ता तोड़ रही हूँ,

तुम मुझे कभी छोड़ नही सकते तो मैं तुम्हे छोड़ रही हूँ |

वापस लौटा रही हूँ तुम्हारे बेशुमार प्यार को,

तुम्हारे कीमती दिल को, उससे जुड़े हर तार को |

तुम्हे मेरी कसम है आज कुछ नहीं कहना,

मैं सुन नहीं पाऊँगी इसलिए चुप ही रहना |

ये आख़िरी मुलाकात है, मैं अब जा रही हूँ,

मेरा इंतज़ार मत करना बस इतना ही कह पा रही हूँ |

मैने कुछ नही कहा, बस उसे सुनता रहा,

बिखरे दिल के टुकड़ों को चुपचाप चुनता रहा |

साथ ले जा रही हूँ तुम्हारे लाए इस गुलाब को,

आज बराबर कर दिया तुम्हारे प्यार के हिसाब को |

आँखें जो नम हुई उसकी मुझे दर्द होने लगा,

वो जाने लगी मैं बीती यादों में खोने लगा |

मुड़कर न देखा मुझे वो सूरज की तरह ढली जा रही थी,

मैने उसे देखा देखता ही रहा की वो मुझसे दूर चली जा रही थी ||

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